मित्रता का महत्व
प्राचीन समय की बात है, एक जंगल में करकट नामक एक कौवा रहता था। वह बुद्धिमान और सतर्क था। एक दिन उसने देखा कि एक शिकारी जंगल में जाल बिछा रहा है। कौवा सतर्क होकर शिकारी को देखने लगा। जब शिकारी जाल बिछाकर चला गया, तो कौवे ने सोचा, "यह जाल किसी बड़ी मुसीबत का कारण बन सकता है। मुझे सबको सतर्क करना चाहिए।"
तभी उसकी नजर हिरण पर पड़ी। हिरण का नाम गोलू था। कौवे ने उसे चेतावनी दी, "गोलू, उस ओर मत जाओ। वहां शिकारी ने जाल बिछाया है।" लेकिन हिरण ने कौवे की बात नहीं मानी और जैसे ही वह जाल के पास गया, उसमें फंस गया।
हिरण फंसकर छटपटाने लगा। कौवा उसे देखकर चिंतित हुआ और सोचने लगा कि उसे कैसे बचाया जाए। तभी उसे अपना मित्र मूषक (चूहा) याद आया। वह तुरंत मूषक के पास गया और उसे सारी बात बताई। मूषक तुरंत सहायता के लिए तैयार हो गया।
मूषक जाल के पास पहुंचा और अपने तेज दांतों से जाल काटने लगा। कुछ ही देर में उसने जाल काटकर हिरण को मुक्त कर दिया। हिरण ने मूषक और कौवे का धन्यवाद किया।
इस घटना के बाद तीनों अच्छे मित्र बन गए। कुछ समय बाद उनके मित्रों की संख्या बढ़ गई, जब एक कछुआ और एक कौआ भी उनके समूह में शामिल हो गए। सभी ने मिलकर यह तय किया कि वे हमेशा एक-दूसरे की मदद करेंगे।
एक दिन वही शिकारी जंगल में लौटा और उसने कछुए को पकड़ लिया। शिकारी कछुए को लेकर जा रहा था, लेकिन बाकी मित्रों ने उसे बचाने की योजना बनाई। हिरण ने शिकारी का ध्यान भटकाने के लिए दिखावटी चोटिल होकर भागना शुरू किया। शिकारी ने हिरण को पकड़ने के लिए कछुए को जमीन पर रख दिया और हिरण के पीछे दौड़ा। इसी बीच, मूषक ने फिर से अपने तेज दांतों का उपयोग किया और कछुए के बंधन काट दिए।
जब शिकारी वापस लौटा, तो उसने देखा कि कछुआ गायब हो चुका है। वह निराश होकर वहां से चला गया। सभी मित्र एक बार फिर से एकत्र हुए और एक-दूसरे का धन्यवाद किया।
कहानी की सीख:
मित्रता और एकता में बड़ी ताकत होती है। सच्चे मित्र मुश्किल समय में हमेशा एक-दूसरे की सहायता करते हैं।
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