ईंट और मंदिर की नींव
एक समय की बात है, एक नौजवान राजमिस्त्री था जिसने अभी-अभी ईंट से इमारतें बनाना सीखा था। वो बहुत जोश में था और रोज़ कुछ नया बनाना चाहता था।
एक दिन वो एक पुराने खंडहर के पास से गुजर रहा था, तभी उसे एक चमकदार और मजबूत ईंट दिखी। उसने सोचा –
"क्यों न इस ईंट से किसी सुंदर इमारत की नींव रखूं?"
लेकिन जैसे ही उसने उस ईंट पर काम शुरू किया, ईंट कराह उठी –
"मुझे दर्द हो रहा है, मत छेड़ो मुझे..."
राजमिस्त्री डर गया और ईंट को छोड़कर आगे बढ़ गया।
🏗️ दूसरी ईंट और मंदिर की नींव
थोड़ी ही दूर उसे एक और ईंट मिली। यह ईंट चुपचाप दर्द सहती रही और खुद को आकार लेने दिया।
धीरे-धीरे वही ईंट मंदिर की नींव बनी और उसके ऊपर एक भव्य मंदिर खड़ा हो गया।
कुछ दिनों बाद मंदिर तैयार हुआ और गाँव वाले सीढ़ियाँ बनाने के लिए साधारण ईंट ढूँढने लगे। तब राजमिस्त्री ने पहली ईंट को याद किया और उसे सीढ़ियों में लगा दिया।
💬 ईंटों की बातचीत
रात को मंदिर की नींव में लगी ईंट और सीढ़ी में लगी ईंट आपस में बात करने लगीं।
सीढ़ी वाली ईंट बोली –
"तू कितनी किस्मत वाली है… सब तुझ पर मंदिर खड़ा करते हैं, और मुझ पर लोग पैर रखते हैं।"
नींव वाली ईंट मुस्कराई और बोली –
"अगर उस दिन तू थोड़ा दर्द सह लेती, तो आज मेरी जगह तू होती।"
📜 कहानी की सीख (Moral of the Story)
👉 जो तकलीफ़ें सह लेता है, वही मजबूत नींव बनता है।
👉 बिना संघर्ष और धैर्य के सफलता संभव नहीं।
👉 सहनशीलता ही ऊँचाई पाने का पहला कदम है।
❓ FAQ Section
Q1. इस कहानी की मुख्य सीख क्या है?
👉 इस कहानी की मुख्य सीख है कि तकलीफ़ और संघर्ष हमें मजबूत नींव बनाते हैं।
Q2. क्या यह कहानी बच्चों को सुनाई जा सकती है?
👉 हाँ, यह छोटी कहानी बच्चों के लिए भी उपयुक्त है और उन्हें धैर्य और सहनशीलता की शिक्षा देती है।
Q3. यह कहानी किस श्रेणी में आती है?
👉 यह एक प्रेरणादायक और नैतिक शिक्षा (Moral Story) वाली हिंदी कहानी है।
✍️ निष्कर्ष (Conclusion)
यह प्रेरणादायक कहानी हमें बताती है कि सफलता की इमारत हमेशा संघर्ष और धैर्य की नींव पर खड़ी होती है। अगर हम तकलीफ़ से भागेंगे तो हमें छोटी जगह ही मिलेगी, लेकिन अगर हम सहनशीलता दिखाएँगे तो दुनिया हमारे ऊपर खड़ी होगी।
🏷️ Keywords
प्रेरणादायक कहानी हिंदी में
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